Saturday, March 6, 2010

mauj dar mauj tere Gam kii shafaq khilatii hai
mujhe is sil-silaa-e-rang pe qaabuu bhii nahii.n

न काबे में ..न कलीसे में..,न हरम की पनाहों में ..
सुकून मिलता है ग़र कही... तो उसकी बाहों में ...

अंदाजे-दरयाफ्त क्या कहू उसका ''बादल''..
खैरियत भी पूछते है तो..निगाहों निगाहों में..

काबा-अल्लाह का घर
कलीसा-church
हरम -मंदिर

दरयाफ्त -पुछताछ enquiry
जब कभी उसके जानिब मेरी नजर जाती है
वो खुशजमाल ...कलेजे में उतर जाती है....

माहो-महर भी देखने को तरसते है उसे..
वो जिस रोज़ बन-ठन के सवर जाती है ...


खुद-ब-खुद कदम उसके पीछे निकलते है..
वो खिरामा-खिरामा कुछ इस कदर जाती है...


छोड़ के फूलोको भवरे मंडराते है उसपे ...
वो जब खोलके जुल्फे-मुअम्बर जाती है..

एहतियातन जुहद रखना दील पे ''बादल''
उसको देखकर धड़कने ठहर जाती है....


khushjamal-beautyful
maho-mahar--moon and sun
खिरामा-खिरामा -slowly slowly
मुअम्बर--सुगन्धित
एहतियातन--carefuly
जुहद -control

sab gunaahon kaa iqaraar karane lagen
is qadar Khubasuurat sazaayen na de.....

ये मेरी आखरी शब् तो नहीं मैखाने में
कांपते हांथों से क्यों जाम दिया जाता है .......


जब अपनी सांस ही दरपर्दा हम पे वार करे
तो फिर जहाँ में कोई किस पे ऐतबार करे

वफ़ा की राह में कितने ही मोड़ आयेंगे
बता ! ये उम्र कहाँ तेरा इन्तजार करे

हर एक अपने लिए मेरे जख्म गिनता है
मेरे लिए भी कोई हो जो मुझसे प्यार करे

बहुत दिनों मैं जमाने की ठोकरों में रहा
कहो जमाने से अब मेरा इन्तजार करे

सब अपनी प्यास में गुम हैं यहाँ तो ए साकी
कोई नहीं जो तेरे मैकदे से प्यार करे

Shayad hum khud ko sambhal lete magar
Tumhara hausla dena hi humein maar gaya

"AGAR WO PUCH LE HUMSE TUMHE KIS BAAT KA GHAM HAI'
TO KIS BAAT KA GHAM HAI AGAR WO PUCH LE HUMSE"

Zaruri nahi ki tum bhi wafa nibhao hamse,
Hum to teri bewafai par bhi marte hai

भीगी हुई दहलीज पे इक शाम को बैठे
हम दिल के धड़कने का सबब सोंच रहे थे...........

दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी अब याद आया .........

उन के ख़त की आरजू है उन के आमद का ख़याल
किस कदर फैला हुआ है कारोबार-ऐ-इंतज़ार..............

सुनते है बहिश्त (जन्नत )की तारीफ सब दुरुस्त (तरफ)
पर खुदा करे की वो तेरी ही जल्वागाह हो ..
------ग़ालिब

दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की......
लोगो ने मेरे सेहन से रास्ते बना लिये.....

सेहन-आँगन
khuda jane kiska hai ......par bhahot badhiya sher hai....

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