Saturday, March 6, 2010

"कोई रिश्ता बनाकर मुतमईन होना नहीं अच्छा
मोहब्बत आखरी दम तक ताल्लुक आजमाती है ........... "

तेरे बगल में किताब है वाईज....
मेरे बगल में बोतल...
तेरा खुदा ही नशा है...
मेरा नशा है खुदा ....

तेरी लतीफ़ निगाहों की खास जुम्बिश ने
बना दिया तेरी फितरत का राजदार मुझे.....

कभी यकबयक तवज्जो , कभी दफ़तन तगाफुल
मुझे आजमा रहा है कोई रुख बदल बदल के ..........

यकबयक=दफतन=अचानक
मुझे यकी सा आ गया के यही है मंजिल मेरी ,
सरे राह जब किसी ने मुझे दफ़तन पुकारा .............
-----शकील बदायुनी
आप के दम से तो दुनिया का भरम है कायम
आप जब हैं तो ठिकाने की ज़रूरत क्या है.............

पब्लिक हो या प्रेमिका, दोनों एक समान।
रीझ जाएं किस पर कहाँ, यह जानें भगवान।
यह जानें भगवान, देखते सब हैं नखरे।
निकल जाय जब काम, न दिखते उनके चेहरे।
कभी बिठाये शीश, कभी देती है फ्री किक।
रखना पूरा ध्यान, प्रेमिका हो या पब्लिक।

जम्खो से बदन गुलज़ार सही ;पर अपने शिकस्ता तीर गिनो ......
खुद तरकशवाले कह देंगे ये बाज़ी किसने हारी है.......

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