लडकियां उडाती हैं पतंगे
लेकिन चरखी कोई और पकड़ता है
वो डोर पकड़ती है
पतंग को छुट्टी कोई और देता है
उनकी पतंग उडती भी है
आकाश में लेकिन घरवाले
सब सीख देते हैं
पेच ना लड़ाने की सीख देते हैं
वो पतंग तो उडाती हैं
तंग कोई और ही बांधता है
या वो उडाती हैं
पतंगे जो कटके छत पे आती हैं i
उनकी पतंग उडती भी है
आकाश में लेकिन घरवाले
आगाह करते हैं
पेच ना लड़ाने की सीख देते हैं
जो लडकियां पतंग उडाती हैं
तो उनसे ये भी कहा जता है कि
भले कोई ढील दे
तुम्हें अपनी डोर खीचके ही रखनी है
हाँ लड़किया पतंग उडाती है
पर क्या पता उसे आसमान निगलता
या धरती खाती है
शाम होते गगन में आवारा पतंगे रहती हैं
Saturday, March 6, 2010
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हाँ लड़किया पतंग उडाती है
ReplyDeleteपर क्या पता उसे आसमान निगलता
या धरती खाती है
शाम होते गगन में आवारा पतंगे रहती हैं ------------------------
बहुत अच्छी प्रस्तुति, अच्छा लिखा। आप आगे भी लिखते रहें।
सुनील पाण्डेय
इलाहाबाद
09953090154
pande ji ye kavita meri likhi nahi hai .mujhe achchi lagi isliye blog pe dal di . iske rachnaakar ka naam mujhe nahi malum . aapki pasand achchi hai dhanywad
ReplyDeleteहाँ लड़किया पतंग उडाती है
ReplyDeleteपर क्या पता उसे आसमान निगलता
या धरती खाती है
शाम होते गगन में आवारा पतंगे रहती हैं
Achhee rachanase ru-b-ru karaya aapne!
Jiski bhi hai, rachana badee achhee hai..
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