तेरी तलब में..... जला डाले आशियाने तक.....
कहाँ रहूँ बता .......तेरे दिल में घर बनाने तक.......
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खरीद सकते तो उसे ............अपनी जिंदगी दे कर खरीद लेते "फ़राज".....
पर कुछ लोग कीमत से नही .........किस्मत से मिला करते है..............
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--अहमद फ़राज़