Friday, June 1, 2012

तेरी तलब में..... जला डाले आशियाने तक..... कहाँ रहूँ बता .......तेरे दिल में घर बनाने तक....... . . खरीद सकते तो उसे ............अपनी जिंदगी दे कर खरीद लेते "फ़राज"..... पर कुछ लोग कीमत से नही .........किस्मत से मिला करते है.............. . . . . . --अहमद फ़राज़